बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 30
लोकमत एवं सामाजिक न्याय
(Public Opinion and Social Justice)
सार्वजनिक समस्याओं एवं प्रश्नों पर जनता का जो मत होता है उसे ही जनमत कहा जाता है। चूँकि सार्वजनिक प्रश्नों पर अधिकांशतः जनता एकमत नहीं होती, अतः हम सामान्यतः बहुमत को ही लोकमत मान लेते हैं लेकिन राजनीति शास्त्र में लोकमत का प्रयोग एक विशिष्ट अर्थ में किया जाता है। जनमत की सच्ची कसौटी लोकहित है और आदर्श लोकमत वही है, जो लोकहित से प्रेरित हो। परन्तु यदि बहुसंख्यक मत अल्पसंख्यकों की रक्षा न करे तो उसे लोकमत नहीं कहा जा सकता। वर्ग या सम्प्रदाय विशेष के हितों को ध्यान में रखने वाला मत साम्प्रदायिक मत कहलायेगा, लोक विचार या लोकगत नहीं। सामान्य हितों की सामान्य चेतना ही सच्चे लोकमत का आधार है। ब्राइस के अनुसार, जनमत साधारणतया मनुष्यों के उन विभिन्न दृष्टिकोणों का योग मात्र है जो वे सम्पूर्ण समाज से संबंधित विषयों के बारे में रखते हैं। इस अर्थ में जनमत सर्व प्रकार की परस्पर विरोधी धारणाओं, विश्वासों तथा आकांक्षाओं का सम्मिश्रण है। कैरोल ने सामान्य जनता की मिश्रित प्रक्रिया को ही लोकमत कहा है। डूब के अनुसार, लोकमत का अर्थ एक सामाजिक समूह के रूप में जनता का किसी प्रश्न या समस्या के प्रति रुख या विचार है। जनमत की अनेक विशेषतायें होती हैं। जनमत जनसाधारण का मत होता है और यह सार्वजनिक हित से सम्बद्ध होता है और लोक कल्याण की भावना से प्रेरित होता है। परन्तु जनमत के लिए सर्वसम्मति का होना आवश्यक नहीं होता। प्रजातंत्र में जनमत का विशेष महत्व होता है। वस्तुतः जनमत ही प्रजातंत्र का आधार होता है। जनमत ही प्रजातंत्र में वैधानिक सम्प्रभुत्ता तथा राजनैतिक सम्प्रभुत्ता के बीच समन्वय स्थापित करता है। जनमत एक प्रबल सामाजिक शक्ति होता है जिसकी अवहेलना करने वाला राजनीतिक दल स्वयं अपने लिए संकट आमंत्रित कर लेता है।
सामाजिक क्षेत्र में भी लोकमत का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह नैतिक तथा सामाजिक मूल्यों की रक्षा करता है और राजनीतिज्ञों का ध्यान महत्वपूर्ण सामाजिक प्रश्नों तथा समस्याओं की ओर आकृष्ट करता है। यह जनता के मूल अधिकारों का सबसे उत्तम रक्षक माना जाता है। यदि सरकार नागरिकों के मूल अधिकारों के विरुद्ध कोई नियम पारित करती है तो लोकमत उसके विरुद्ध जाता है और शीघ्र ही उसे शासन से हटा देता है। इस प्रकार सच्चे जनतंत्र के लिए सचेत जनमत पहली आवश्यकता है। लोकमत निर्माण के अनेक साधन हैं। प्रेस, पत्र-पत्रिकायें, रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, सार्वजनिक सभायें राजनीतिक दल, शिक्षण संस्थायें जनमत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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- अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
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- अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
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- अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 11 दण्ड
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- अध्याय - 12 स्वतंत्रता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
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- उत्तरमाला
- अध्याय - 13 समानता
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- अध्याय - 14 न्याय
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- अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
- महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
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- अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
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- अध्याय - 20 वैश्वीकरण
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